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राकेश शर्मा का अंतरिक्ष मिशन – Rakesh Sharma Space Journey

 

राकेश शर्मा का अंतरिक्ष मिशन | Rakesh Sharma Space Journey

Image Source: Indian Air Force via Government Open Data License – India

 

राकेश शर्मा का अंतरिक्ष मिशन – Rakesh Sharma Space Journey की प्रमुख बातें

भारत के अंतरिक्ष इतिहास में ऐसे कई क्षण आए हैं जो हमेशा स्वर्ण अक्षरों में दर्ज रहेंगे। लेकिन जब बात पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री की होती है, जिसने सबसे पहले अंतरिक्ष की यात्रा की, तो पूरे देश के दिल और ज़ुबान पर एक ही नाम आता है — विंग कमांडर राकेश शर्मा। उनका अंतरिक्ष मिशन न केवल एक तकनीकी उपलब्धि था, बल्कि यह भारत के लिए गर्व और आत्मसम्मान का प्रतीक भी बना। इस मिशन के बाद दुनिया ने भारत को एक नई दृष्टि से देखना शुरू किया।

 

राकेश शर्मा की पढ़ाई और भारतीय वायुसेना में करियर

राकेश शर्मा का जन्म 13 जनवरी 1949 को पंजाब के पटियाला में एक पंजाबी परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा हैदराबाद के सेंट जॉर्ज ग्रामर स्कूल से प्राप्त की और आगे की पढ़ाई निजाम कॉलेज, हैदराबाद से की। राकेश शर्मा भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) के एक बहादुर और कुशल पायलट थे। वर्ष 1970 में उन्होंने वायु सेना में कमीशन प्राप्त किया और कई वर्षों तक लड़ाकू विमानों का संचालन किया। उनकी उत्कृष्ट सेवाओं और साहसिक क्षमता के चलते उन्हें भारत और सोवियत संघ के संयुक्त इंटरकोसमोस स्पेस प्रोग्राम के तहत अंतरिक्ष यात्री के रूप में चुना गया।

 

Soyuz T-11 और राकेश शर्मा की ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा

राकेश शर्मा का अंतरिक्ष मिशन – Rakesh Sharma Space Journey का एक अहम हिस्सा रहा वर्ष 1984 में विंग कमांडर राकेश शर्मा को भारत और सोवियत संघ के संयुक्त अंतरिक्ष मिशन Soyuz T-11 का हिस्सा बनने का गौरव प्राप्त हुआ। यह ऐतिहासिक मिशन 3 अप्रैल 1984 को लॉन्च किया गया था। इस मिशन में राकेश शर्मा अकेले नहीं थे — उनके साथ दो रूसी अंतरिक्ष यात्री, यूरी मालिशेव (Yuri Malyshev) और गेन्नादी स्त्रेकालोव (Gennadi Strekalov) भी शामिल थे। Soyuz T-11 मिशन का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष में विज्ञान और चिकित्सा से संबंधित प्रयोग करना था, जिनमें भारत द्वारा भेजे गए वैज्ञानिक उपकरण और परीक्षण भी सम्मिलित थे।

राकेश शर्मा ने सैल्यूट 7 (Salyut 7) अंतरिक्ष स्टेशन पर कुल 7 दिन, 21 घंटे और 40 मिनट बिताए। इस दौरान उन्होंने पृथ्वी अवलोकन कार्यक्रम (Earth Observation Program) में भाग लिया, जिसमें विशेष फोकस भारत पर था। इसके अलावा, उन्होंने जीवन विज्ञान (Life Sciences) और सामग्री प्रसंस्करण (Materials Processing) से जुड़े कई वैज्ञानिक प्रयोग किए, जिनमें सिलिकॉन (Silicium) को गलाने के परीक्षण भी शामिल थे।

यह प्रयोग भी  राकेश शर्मा का अंतरिक्ष मिशन – Rakesh Sharma Space Journey को विश्व पटल पर अद्वितीय बनाता है।कि उन्होंने अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने के प्रभावों से निपटने के लिए योग (Yoga in Space) का अभ्यास भी किया यह प्रयोग न केवल भारतीय वैज्ञानिकों के लिए, बल्कि वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय के लिए भी अत्यंत रोचक और अनुसंधान योग्य विषय बन गया।

हालाँकि, इस ऐतिहासिक मिशन का हिस्सा बनना आसान नहीं था। राकेश शर्मा को इस अंतरिक्ष यात्रा से पहले कठोर शारीरिक और मानसिक प्रशिक्षण से गुजरना पड़ा। उन्होंने अपने साहस, समर्पण और अनुशासन से यह सिद्ध कर दिया कि वे इस अद्वितीय मिशन के लिए पूर्णतः योग्य हैं।

यह अंतरिक्ष मिशन भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में दर्ज है।
राकेश शर्मा का अंतरिक्ष मिशन – Rakesh Sharma Space Journey आज भी भारत की वैज्ञानिक प्रगति और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बना हुआ है।

 

तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से ऐतिहासिक संवाद

यह तथ्य राकेश शर्मा का अंतरिक्ष मिशन – Rakesh Sharma Space Journey को खास बनाता है।राकेश शर्मा की अंतरिक्ष यात्रा के दौरान एक ऐसा भी क्षण आया, जिसे आज भी भारतवासी गर्व और आत्मीयता से याद करते हैं। जब वह सैल्यूट 7 स्पेस स्टेशन से लाइव वीडियो कॉल के माध्यम से भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी से संवाद कर रहे थे, तो उन्होंने कहा:

“स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा, यह एक ऐतिहासिक कदम है और सारा राष्ट्र इस समय आपकी ओर देख रहा है। मेरी आशा है कि यह मिशन हमारे देश में अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति जागरूकता बढ़ाएगा और हमारे युवाओं को साहसी कार्यों के लिए प्रेरित करेगा। प्रश्न तो आपसे बहुत से हैं, पर मैं एक पूछना चाहती हूं — ऊपर से भारत कैसा दिखता है आपको?”

इस पर राकेश शर्मा का उत्तर आज भी हर भारतीय के दिल में गूंजता है:

“सारे जहाँ से अच्छा — हिंदुस्तान हमारा!”

यह केवल एक उत्तर नहीं था, बल्कि भारत के प्रति अपार प्रेम, गर्व और राष्ट्रीय भावना की मिसाल बन गया। इस ऐतिहासिक संवाद ने न केवल राकेश शर्मा को अंतरिक्ष में हीरो बनाया, बल्कि उन्हें भारत के करोड़ों दिलों में हमेशा के लिए अमर कर दिया।

 

राकेश शर्मा को ‘अशोक चक्र’ और ‘हीरो ऑफ द सोवियत यूनियन’ सम्मान

अंतरिक्ष से वापसी के बाद राकेश शर्मा को सोवियत संघ के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘हीरो ऑफ द सोवियत यूनियन’ से सम्मानित किया गया। वे आज तक इस सम्मान को प्राप्त करने वाले एकमात्र भारतीय हैं। साथ ही भारत सरकार ने भी उन्हें देश का सर्वोच्च शांतिकालीन वीरता पुरस्कार ‘अशोक चक्र’ से सम्मानित किया। यह सम्मान राकेश शर्मा के साथ-साथ उनके मिशन में शामिल दोनों सोवियत अंतरिक्ष यात्रियों यूरी मालिशेव और गेन्नादी स्त्रेकालोव — को भी प्रदान किया गया।

राकेश शर्मा का अंतरिक्ष मिशन | Rakesh Sharma Space Journey न केवल एक अंतरिक्ष यात्रा थी, बल्कि यह भारत की वैज्ञानिक क्षमता, राष्ट्रीय भावना और युवा प्रेरणा का प्रतीक है।
उनकी यह यात्रा आने वाली पीढ़ियों को भी यह सिखाती है कि जब साहस और समर्पण हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता।

 

निष्कर्ष

राकेश शर्मा का अंतरिक्ष मिशन केवल वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं, बल्कि भारत के आत्मविश्वास, क्षमता और गौरव का प्रतीक है। ‘राकेश शर्मा का अंतरिक्ष मिशन – Rakesh Sharma Space Journey आज भी युवाओं को प्रेरणा देने वाली एक गौरवशाली कहानी है

राकेश शर्मा का अंतरिक्ष मिशन – Rakesh Sharma Space Journey आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का अमिट स्रोत बना रहेगा ।

 

1984 में राकेश शर्मा के मिशन के 5 ऐतिहासिक तथ्य

1. भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री

राकेश शर्मा 3 अप्रैल 1984 को अंतरिक्ष जाने वाले भारत के पहले नागरिक बने। यह उपलब्धि भारत और सोवियत संघ के सहयोग से संभव हुई।

2. सोयूज़ टी-11 मिशन में भागीदारी

उन्होंने Soyuz T-11 नामक सोवियत अंतरिक्ष यान में यात्रा की, जिसमें दो रूसी अंतरिक्ष यात्री भी थे: यूरी मालिशेव और गेन्नादी स्त्रेकालोव।

3. सैल्यूट-7 अंतरिक्ष स्टेशन पर 7 दिन से अधिक

राकेश शर्मा ने 7 दिन, 21 घंटे और 40 मिनट सैल्यूट-7 स्पेस स्टेशन पर बिताए और भारत केंद्रित वैज्ञानिक प्रयोगों में हिस्सा लिया।

4. इंदिरा गांधी से ऐतिहासिक संवाद

अंतरिक्ष से बातचीत में जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पूछा — “भारत आपको अंतरिक्ष से कैसा दिखता है?”
राकेश शर्मा ने जवाब दिया: “सारे जहाँ से अच्छा – हिंदुस्तान हमारा!”
यह संवाद आज भी हर भारतीय के दिल में बसा है।

5. अंतरराष्ट्रीय सम्मान और ‘अशोक चक्र’ से सम्मानित

उन्हें सोवियत संघ का सर्वोच्च सम्मान “Hero of the Soviet Union” और भारत सरकार द्वारा “अशोक चक्र” से सम्मानित किया गया। वे इस तरह के सम्मान पाने वाले भारत के एकमात्र व्यक्ति हैं।

 

FAQ – राकेश शर्मा का अंतरिक्ष मिशन | Rakesh Sharma Space Journey

 

1. राकेश शर्मा कौन थे और उन्होंने क्या किया?
राकेश शर्मा भारतीय वायु सेना के एक विंग कमांडर थे जिन्होंने 1984 में सोयूज़ टी-11 अंतरिक्ष यान से अंतरिक्ष की यात्रा कर भारत का नाम इतिहास में दर्ज किया।

 

2. राकेश शर्मा ने कौन-सा मिशन पूरा किया था?
राकेश शर्मा ने सोवियत संघ के Soyuz T-11 मिशन के अंतर्गत अंतरिक्ष यात्रा की थी, जो भारत और सोवियत संघ की साझेदारी में हुआ था।

 

3. “सारे जहाँ से अच्छा” वाक्य का क्या महत्व है?
जब भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने राकेश शर्मा से पूछा कि अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखता है, तो उन्होंने जवाब दिया: “सारे जहाँ से अच्छा।” यह वाक्य ऐतिहासिक बन गया।

 

अधिक जानकारी के लिए आप राकेश शर्मा का विकिपीडिया पेज पढ़ सकते हैं। साथ ही अंतरिक्ष अनुसंधान में भारत की अन्य उपलब्धियों और मिशनों के बारे में जानने के लिए आप ISRO की आधिकारिक वेबसाइट पर विज़िट कर सकते हैं।

 

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